|| श्री संत सिंगाजी ||

मालवा के प्रसिद्ध संत सिंगाजी का जन्म 1519 ई. में पिपलिया नामक क़स्बे के निकट खजूरी गाँव में एक ग्वाला परिवार में हुआ था। इनके जन्मस्थान (खजूरी ग्राम) का नामकरण उन्हीं के नाम पर किया गया है। सिंगा जी मध्य प्रदेश में खांडवा से 28 मील उत्तर पूर्व मे हरसूद तहसील का एक छोटा गाँव है। हरसूद का निर्माण हर्षवर्धन द्वारा किया गया था। इसी गाँव में सिंगा जी एक सामान्य गोपाल या अहीर परिवार में जन्मे थे। वे बचपन से ही एकांत स्वभाव के थे। जब वन में जानवरों को चराने जाते तो वहाँ  प्रकृति के बीच रमे रहते थे। सिंगाजी का विवाह हुआ, चार पुत्र भी पैदा हुए, परंतु उनका मन घर-गृहस्थी में नहीं लगता था।

संत सिंगाजी को 16वीं या 17वीं शताब्दी के काल का माना जाता है। कहा जाता है की सिंगा जी एक कवि व करामाती संत थे। वे साक्षर नहीं थे। परंतु भक्ति के आवेश में जो  बना कर गाते थे, उन्हें उनके अनुयायियों ने लिपिबद्ध कर लिया। ऐसे पदों की संख्या 800 बताई जाती है। संत सिंगाजी ने समाज के दलित और उपेक्षित वर्ग को ऊपर उठाने के लिए बहुत काम किया।माखनलाल चतुर्वेदी ने उन्हें नर्मदा की तरह अमर प्राण आचार्य और युग की सीमाएँ बनाने वाले संत  कहा। उसे क्षेत्र की जन जातियाँ आज भी अपना आराध्य मानती हैं और उनके समाधि-स्थल पर प्रतिवर्ष बड़ा मेला लगता है।

आगामी कार्यक्रम


Shree Ram
Katha

20-03-2024

Dewas (M,P)


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20-03-2024

Dewas (M,P)


Shree Bhagwat Katha

25-03-2024

Khandwa(M.p)


Shree Bhagwat Katha

25-03-2024

Mundi (M,P)

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